भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code – IPC) में धारा 320 (320 IPC in Hindi) को “घोर आघात” (Grievous Hurt) के रूप में परिभाषित किया गया है। यह धारा उन चोटों को कवर करती है जो गंभीर और स्थायी नुकसान पहुंचाती हैं। 2023 में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) लागू होने के बाद, IPC 320 को BNS 116 में शामिल कर दिया गया है।
इस ब्लॉग में हम धारा 320 आईपीसी (320 IPC in Hindi) के अंतर्गत आने वाले अपराध, उनकी सजा और जमानत से जुड़ी जानकारी देंगे। साथ ही, IPC से BNS में हुए बदलावों को भी समझाएंगे।
धारा 320 आईपीसी (320 IPC in Hindi) क्या है?
धारा 320 आईपीसी (320 IPC in Hindi) भारतीय दंड संहिता की वह धारा है जो घोर आघात को परिभाषित करती है। इसमें 8 प्रकार की चोटों को गंभीर माना जाता है।
घोर आघात की परिभाषा (Grievous Hurt as per 320 IPC in Hindi)
धारा 320 आईपीसी (320 IPC in Hindi) के तहत निम्नलिखित चोटें घोर आघात मानी जाती हैं:
- नपुंसकता उत्पन्न करने वाली चोट
- किसी एक या दोनों आँखों की दृष्टि स्थायी रूप से समाप्त होना
- किसी एक या दोनों कानों की सुनने की क्षमता का स्थायी रूप से समाप्त होना
- किसी भी अंग या जोड़ का विच्छेद (Amputation)
- किसी भी अंग या जोड़ की शक्ति का स्थायी नुकसान
- चेहरे या सिर की स्थायी कुरूपता
- अस्थि या दांत का टूटना या विस्थापन
- कोई भी ऐसी चोट जिससे जीवन संकट में पड़ जाए, या जो 20 दिन से अधिक गंभीर शारीरिक कष्ट दे
2023 के बाद, यह धारा BNS 116 के तहत आती है।
IPC 320 और BNS 116 में क्या अंतर है?
2023 में भारतीय सरकार ने भारतीय दंड संहिता (IPC) को भारतीय न्याय संहिता (BNS) से बदल दिया। IPC 320 को BNS 116 में सम्मिलित किया गया है।
IPC 320 बनाम BNS 116
IPC 320 (पुराना कानून) | BNS 116 (नया कानून – 2023 से लागू) |
घोर आघात की परिभाषा | कोई बदलाव नहीं किया गया |
सजा | सजा को कठोर किया गया |
प्रक्रिया | जमानत और सुनवाई की प्रक्रिया में बदलाव |
अब, 320 IPC in Hindi को BNS 116 के रूप में लागू किया गया है।
धारा 320 आईपीसी (320 IPC in Hindi) के तहत सजा और दंड
अगर कोई व्यक्ति धारा 320 आईपीसी (320 IPC in Hindi) के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे निम्नलिखित सजा हो सकती है:
- धारा 320 के अंतर्गत आने वाले मामलों में अधिकतम 7 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
- अगर अपराध अत्यधिक क्रूरता से किया गया हो, तो सजा 10 साल तक बढ़ सकती है।
घोर आघात में अपराध की गंभीरता के अनुसार सजा:
अपराध की गंभीरता | संभावित सजा |
साधारण चोट | 3 साल तक की कैद |
गंभीर चोट (320 IPC in Hindi) | 7 साल तक की कैद |
जानबूझकर घोर आघात | 10 साल तक की कैद + जुर्माना |
BNS 116 में सजा को IPC 320 से अधिक कठोर बनाया गया है।
IPC 320 के तहत जमानत (Bail in 320 IPC in Hindi)
धारा 320 आईपीसी (320 IPC in Hindi) के तहत किए गए अपराध गैर-जमानती होते हैं। यानी अपराधी को तुरंत जमानत नहीं मिलती।
जमानत के लिए आवश्यक शर्तें:
- अपराधी का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड न हो।
- चोट गंभीर लेकिन जानलेवा न हो।
- पीड़ित और अपराधी के बीच समझौता हो जाए।
BNS 116 में जमानत की प्रक्रिया को और कठोर बनाया गया है।
IPC से BNS में बदलाव: हमारी IPC to BNS टूल की मदद से समझें
हमारी “IPC to BNS” टूल का उपयोग करके आप यह समझ सकते हैं कि IPC की कौन सी धारा अब BNS के तहत किस रूप में लागू होती है।
IPC to BNS बदलाव का उदाहरण:
IPC धारा | BNS धारा (2023 के बाद) |
IPC 320 | BNS 116 |
IPC 326 | BNS 120 |
IPC 324 | BNS 119 |
अगर आप IPC और BNS में बदलाव को समझना चाहते हैं, तो हमारी “IPC to BNS” टूल का उपयोग करें।
धारा 320 आईपीसी पर महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले
निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण फैसले हैं, जिनमें IPC 320 (320 IPC in Hindi) का उपयोग किया गया:
- State of Maharashtra v. Surendra – जिसमें आरोपी को 7 साल की सजा हुई।
- Gurbachan Singh v. State of Punjab – जिसमें कोर्ट ने बताया कि क्या चोटें “घोर आघात” मानी जाएंगी।
निष्कर्ष
धारा 320 आईपीसी (320 IPC in Hindi) गंभीर चोटों से संबंधित है, जिसे अब 2023 में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 116 में शामिल किया गया है। यह उन अपराधों को परिभाषित करता है जिनमें स्थायी विकृति, अंग-भंग या घातक चोटें शामिल होती हैं। यदि आप इस कानून की गहराई से जानकारी चाहते हैं, तो Law Ki Baat के माध्यम से विस्तृत विश्लेषण पढ़ सकते हैं। हमारी वेबसाइट पर आपको IPC to BNS टूल भी मिलेगा, जिससे आप पुराने और नए कानूनों के बीच बदलाव समझ सकते हैं। Law Ki Baat भारतीय कानून से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए सरल भाषा में उपलब्ध कराता है।